कविवर मैथिलीशरण गुप्त भगवती वीणापाणि के उन वरद पुत्रों में से हैं, जिनकी कीर्ति- कौमुदी चतुर्दिक अपनी आभा विकिर्ण कर रही...
कविवर मैथिलीशरण गुप्त भगवती वीणापाणि के उन वरद पुत्रों में से हैं, जिनकी कीर्ति- कौमुदी चतुर्दिक अपनी आभा विकिर्ण कर रही है। गुप्त जी की तो बहुत साहित्यिक रचनाएं हैं, परंतु उनकी कीर्ति का आधार 'साकेत' ही है। यह महाकाव्य आधुनिक युग के महाकाव्यों में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। 'साकेत' का वर्ण्य - विषय रामकथा ही है। 'साकेत' का अर्थ है - वैकुंठ, विष्णु का निवास स्थान।