Shri Rajeev Ranjan (1989-93,Taxila Ashram) is new Asst. High Commissioner of India in Chittagong, Bangladesh. 

Proud Moment for all of us.

💐Congratulations 💐 

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"Eksootra" is NOBA's annual e-Magazine.   

Origin of the name: This magazine is the binder for all the alumni of Netarhat school, it is like threading all the previous students in one thread.

This magazine signifies our togetherness and brotherhood. It also brings us all together to combine our efforts and achieve incredible success for the community.

You can download the pdf file from here 

Eksootra_Cover


68वें विद्यालय दिवस के अवसर पर NOBA GSR आपसभी को हार्दिक बधाई देता है। दिनांक 31 अक्टूबर 2021 को हमने नेतरहाट विद्यालय के छात्रों के लिए एक पत्र लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया था, जिसका मुख्य लक्ष्य था वर्तमान छात्रों और नोबा परिवार के बीच एक संवाद की शुरुआत करना। और, इस संवाद के लिए पत्र लिखने से बेहतर तरीका और क्या हो सकता था।

जब भी हम NOBA फोरम में चर्चा करते हैं, तो हमेशा इस विषय की ओर खिंचे चले जाते हैं कि नेतरहाट ने हमें क्या दिया है? एक बात पर हम सब ही सहमत होते हैं कि नेतरहाट विद्यालय ने हमें उस कच्ची उम्र में ही अपनी ज़िम्मेदारियों की पहचानने और उन्हें बखूबी निभाने का हुनर सिखाया। शायद जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए और एक अच्छा इंसान बने रहने के लिए यह हुनर बहुत ही ज़रूरी है। उत्सुकता हुई कि हमारे अनुज बंधु, जो अभी विद्यालय में पढ़ रहे हैं, वो क्या सोचते होंगे इस विषय पर। क्योंकि NOBA GSR का प्रमुख उद्देश्य समाज सेवा है, हम ये भी देखना चाहते थे कि सेवाभाव का बीज क्या हम अभी से बो सकते हैं। उनके इन्ही विचारों से रु-ब-रु होने के लिए हमने पत्र लेखन का विषय कुछ इस तरह रखा -

“सोचिए कि आप को विद्यालय से निकले हुए 25 साल हो गए हैं और आप अपनी मातृसंस्था नेतरहाट को एक पत्र लिख रहे हैं कि इतने वर्षों में आपने क्या सफलताएं प्राप्त की? सामाजिक उत्थान का आप कैसे हिस्सा बने? इसमें नेतरहाट से मिली कोई एक चीज़ का उल्लेख कीजिए जिसका सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा।

प्रतियोगिता के बाद श्रीमान नरेंद्र जी ने यहाँ के हाल का कुछ इस तरह से वर्णन किया

"आज NOBA GSR के द्वारा नेतरहाट आवासीय विद्यालय में हिंदी विभाग के सहयोग से पत्र लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । इस संदर्भ में छात्रों को पहले से ही सूचित कर दिया गया था और सारे बच्चे इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए उत्साहित थे। बच्चों के लिए इस पत्र लेखन प्रतियोगिता में भाग लेना एक बिल्कुल नया अनुभव था क्योंकि उसे पत्र लेखन का विषय ठीक उसी समय परीक्षा केंद्र में ही बताया गया । पत्र लेखन का विषय एकदम नया और मौलिक था जिसमें सभी छात्रों को अपनी कल्पना शक्ति और भावी जीवन का परिचय देने का अवसर था ।सभी छात्रों ने कुछ देर तक चिंतन मनन करने के बाद पत्र लिखना शुरू किया और 1 घंटे के बाद अपनी कॉपी जमा की। प्रतियोगिता के बाद अधिकतर छात्रों को ऐसा महसूस हो रहा था कि मानो किसी टाइम मशीन के द्वारा अपने जीवन के 25 साल बाद के समय में चले गए हो जो निश्चित तौर पर उनके लिए एक अलग सा अनुभव था। "

और हम NOBA GSR सदस्यों के लिए भी इन पत्रों को पढ़ना उतना ही मज़ेदार रहा, और कल्पना में ही सही, नेतरहाट के उन दिनों को फिर से जी पाने का मौका मिला। छात्रों के सपनों और उनके लक्ष्य से हम अवगत हो पाए। हर एक पत्र में कहीं न कहीं सेवा भाव तो दिखा ही, साथ ही समाज और राष्ट्र के प्रति एक ज़िम्मेदार सोच भी दिखी। ईश्वर से कामना है कि छात्रों का यह भाव उनके जीवन में प्रत्यक्ष रूप से बरक़रार रहे। हालांकि बहुत सारी और भी बातें उभर कर आई जिनसे हमें थोड़ी निराशा भी हुई। बहुतेरे पत्रों में वर्तनी दोष प्रचुर मात्रा में थी।  कुछ छात्रों ने प्रतियोगिता में भाग ले कर सिर्फ खानापूर्ति की तो कुछ छात्रों के पत्र में उत्साह की कमी दिखी। कुछ छात्रों ने बहुत अच्छी कोशिश की पर सम्भवता के पैमाने पर खरे नहीं उतरे। यदि हम उज्ज्वल पक्ष को देखें, तो यह भी सही है कि हम उन पहलुओं से अवगत हो पाए, जिन पर छात्रों को विशेष सहायता की आवश्यकता हो सकती है। उम्मीद है कि नोबा जीएसआर के जरिए हम उन्हें भविष्य में उनकी जरूरत की मदद मुहैया कराने में सक्षम होंगे।

चूंकि यह एक प्रतियोगिता थी, तो इन पत्रों का मूल्यांकन लेखक की भावनाओं से इतर एक वस्तुनिष्ठ पैमाने के अनुसार किया गया, जिसका संक्षिप्त विवरण कुछ इस प्रकार है-   

  • कक्षा 9, 10 और 11 से कुल 197 छात्र- छात्राओं का पत्र हमें मिला। पत्रों के निष्पक्ष मूल्यांकन के लिए ये बहुत ज़रूरी था कि परीक्षकों को पत्र लिखने वाले की पहचान न हो।  इसीलिए सभी छात्रों को नवीन या नूतन के नाम से पत्र लिखने की सलाह दी गयी। साथ ही प्रविष्टियों की पहचान सिर्फ कॉपी नंबर से की गयी। श्रीमान जी डॉ. नरेंद्र मंडल जी एवं टीम का आभार कि हमें इन सारे पत्रों को स्कैन कर सिर्फ कॉपी नंबर के साथ उपलब्ध कराया गया|
  • पत्रों का मूल्यांकन दो स्तर पर किया गया और इन पांच बिंदुओं की परख की गई - सही और सुन्दर भाषा, सार्थक विचार, क्रियात्मकता, सम्भवता और समापन।. पहले स्तर पर सभी पत्रों को कम तीन परीक्षकों ने जांचा, और उनके दिए गए अंकों के हिसाब से Percentile Rank का निर्धारण किया गया. दूसरे स्तर के लिए ऊपर के 30 पत्रों का पुनः मूल्यांकन तीन अलग परीक्षकों द्वारा किया गया और इनमे से हर समूह के विजेताओं को चुना गया। मूल्यांकन के इस स्तर तक पत्र लिखने वाले की पहचान को गोपनीय रखा गया ।
  • अंतिम पुरस्कार के लिए कुल 12 पत्रों का चयन किया गया-
  • प्रतियोगिता में शामिल होने वाले अन्य सभी छात्र- छात्राओं को प्रतिभागी प्रमाण पत्र देने का निर्णय लिया गया है।
  • विजेताओं के नाम इस प्रकार हैं
  • कक्षा 9, 10 एवं 11 तीनों को मिलाकर सर्वश्रेठ तीन पत्र
  • सिर्फ कक्षा 9 के तीन श्रेष्ठ पत्र
  • सिर्फ कक्षा 10 के तीन श्रेष्ठ पत्र
  • सिर्फ कक्षा 11  के तीन श्रेष्ठ पत्र

पारितोषिक: सर्वोपरि 

1. प्रथम पुरस्कार - 10,000 रूपए 

2. द्वितीय पुरस्कार- 8,000 रूपए  

3. तृतीय पुरस्कार - 6,000 रूपए 

 वर्ग ( 9th , 10th , 11th) स्तर  पर :

1. प्रथम पुरस्कार -   5,000 रूपए 

2. द्वितीय पुरस्कार- 4,000 रूपए  

3. तृतीय पुरस्कार-   3,000 रूपए 

हर एक प्रतिभागी जो पूरा पत्र लिखकर जमा करेंगे उन सभी को प्रमाण पत्र दिया जाएगा | 

इन पत्रों के माध्यम से भविष्य में IAS अफसर, डॉक्टर, वैज्ञानिक, हैकर, शिक्षाविद, सेना के पदाधिकारी, राजनेता आदि बन पाने की इनके सपनों से हम अवगत हो पाए। उम्मीद है की इनके सपने पूरे होंगे और उसके लिए इन्हें समय पर उचित मार्गदर्शन और साधन मिल पाएगा।

इस पत्र लेखन प्रतियोगिता को सफल बनाने के लिए NOBA GSR की तरफ से प्राचार्य महोदय, हिंदी विभागाध्यक्ष महोदय एवं अन्य सभी लोगों को बहुत बहुत धन्यवाद जिन्होंने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपना योगदान दिया।  समस्त NOBA परिवार की ओर से एक बार फिर आप सबों को विद्यालय दिवस बहुत बहुत बधाई। 

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Please welcome Srishti to NOBA GSR. 

She is Simultala alumnus and currently studying at BHU. Her brother Sameer is a NOBA.

She brings a fresh perspective on issues related to women which aligns with NOBA GSR mission to help whole humanity. Her first event to that end is sanitary pad distribution and spreading awareness about the use of it.

Execution at the ground level is the most difficult job and it needs utmost dedications, passion and 'never-ever-lose-heart' attitude that we hardly find anywhere. All credit goes to people like Srishti for these amazing works. I am sure NOBA GSR would soon come up with a permanent solution to manufacture it.

This event was funded directly by Om Prakash Chaudhary Jee 1973504 ji.

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After a long and distinguished 36 year career in SBI : Nihar ji ( officially Vijuy Ronjan ji) retires today . I am privileged to be associated with him since the day he was preparing for SBI interview . He achieved high managerial position is marginal compared to a sensitive , creative , upright and promising person he is.

My association continues and there is no plan to wish him all the best for second innings as the hackneyed expression goes . Many look forward to him and learned from him . He has a mindset of abundance and ability to influence things positively .

Written by : Sunil Jha Jee 

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