नेतरहाट विद्यालय के अँग्रेजी के शिक्षक (1959-66) एवं बिहार प्रशासनिक सेवा (डिप्टी कलेक्टर) के संयुक्त सचिव पद से सेवानिवृत्त पदाधिकारी (1966-93) श्री शिवदास पांडेय की एक सफल एवं उत्कृष्ट साहित्यकार तथा कवि के रूप में भी ख्याति रही है । उनकी प्रकाशित कृतियों में "सुबह के सितारे" - प्रथम काव्य रचना, "नदी प्यासी "(काव्य संकलन), "सागर मथा कितनी बार"(प्रेम गीत संकलन), "हाँ, मेरे मालिक" (राजनीतिक व्यंग्य कविताओं का संकलन), "हिन्दी कविता में मिथक की भूमिका " (काव्यालोचन), "मैं हूँ नचिकेता " (व्यंग्य कविताओं का संकलन), "यह कविता नहीं है" (राजनीतिक व्यंग्य कविताओं का संकलन), "ज्वार -ज्वार महासागर "(प्रेम गीतों का संग्रह), "विचारधारा का सच " (ज्ञानधारात्मक शोध ग्रंथ), "द्रोणाचार्य " (एक महाकाव्यात्मक औपन्यासिक कृति), "गौतम-गाथा " (एक ऐतिहासिक आख्यानात्मक कृति) आदि उल्लेखनीय हैं । प्रमुख सम्मान पुरस्कारों में - "राष्ट्रीय एकता पुरस्कार " १९९१,साहित्यकार संसद समस्तीपुर द्वारा १९९३ तथा १९९४ में क्रमश: "कामता प्रसाद सिंह काम " एवं "साहित्य विभूषण " सम्मानों से अलंकृत ।"अवंतिका "नई दिल्ली द्वारा कला एवं साहित्य के क्षेत्र में "विशिष्ट सेवा सम्मान ", १९९९ विश्व हिन्दी सहस्राब्दी सम्मेलन सम्मान , वर्ष २००० में सेक्युलर इंडिया हार्मॉनी एवार्ड, वर्ष २००० में ही महाकवि राकेश शिखर सम्मान, २००१ में जैमिनी अकादमी पानीपत द्वारा डॉ लक्ष्मी नारायण दूबे सम्मान एवं अन्य कई सम्मानों से सम्मानित किया गया । भारत सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा उन्हें वर्ष २०१६ में साहित्य कृति सम्मान प्रदान किया गया. वे बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन पटना एवं बिहार संस्कृत संजीवन समाज के संरक्षक। अध्यक्ष पंचशक्ति परिषद, नेशनल पारालिम्पिक कमिटि ऑफ इंडिया, उत्तर बिहार, सनातन ब्राह्मण समाज, उत्तर बिहार , सांस्कृतिक गौरव संस्थान । महामंत्री बिहार बुद्धिजीवी साहित्यकार परिषद, जिलाध्यक्ष मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान मुजफ्फरपुर, प्रबंध निदेशक पंचशक्ति प्रकाशन, मुख्य संपादक "कविता इंडिया " (त्रैमासिक) ।
मुजफ्फरपुर स्थित उनके आवास पर सपरिवार उनसे मिलने का सौभाग्य मुझे वर्ष 2014 में मिला था । उन्होंने अपनी पुस्तक द्रोणाचार्य एवं गौतम गाथा सस्नेह मुझे भेंट की थी । वर्ष 2018 में आयोजित नोबा स्नेह मिलन मुजफ्फरपुर में भी उनके दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।
आज उनके निधन से मर्माहत हूं । उनकी पुण्यात्मा को सायुज्य प्राप्त हो ,यह ईशविनती है ।
श्रद्धांजलि
गोपाल शरण, 87-93,कण्व,
औरंगाबाद, बिहार