बाँसवन में बाँसुरी बजने लगी
बात चैता ने जाने क्या कही।
बात चैता ने जाने क्या कही।
बीतता फागुन कहे कुछ कान में
राग बासंती अभी भी मान में ।
राग बासंती अभी भी मान में ।
नेमत का नतीजा है
भरे हैं उनके हाथ, गोद और माँग.
वे किसी के सर ठीकरा नहीं फोड़ते
कि खाली है उनका पेट.
सुना है कि सियाचिन से आने वाली खबरें
अक्सर धड़कन नहीं मौत लिए आती है..
जहाँ लम्बे समय तक जिंदा रह पाता है
केवल लद्दाखी कौव्वा..!