कल प्रातः श्रीमती रमण माता जी , (डा० आशा नूतन जी 64 Batch) की माँ का वैकुण्ठ प्रयाण हो गया। भगवान उनकी आत्मा को मोक्ष प्रदान करें.
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः 🙏 स्नेहमयी माताजी को श्रद्धांजलि। आशा नूतन दीदी एवं परिवारजनों को इस कठिन समय में दुख सहने की क्षमता ईश्वर प्रदान करें । मोक्ष प्राप्त हो । ऊं तत्सत्। 🙏🙏🙏
With a very heavy heart, we want to let you know that Shardanand (87-91) has left his body before liver transplant could take place. Our thoughts are prayers are with family and his batchmates are there to help them. I wanted to take a moment to Thank each one of you, who tried to help him in different ways. - Satyendra 86-90
श्रद्धांजलि......!!
******
और इस तरह से शारदानंद हमलोगों को अलविदा कहकर उस दुनिया की ओर चला गया जहाँ उसे अब किसी सहायता की जरूरत नहीं रही। मैं उसे बचपन से जानता था। नेतरहाट से पहले जहानाबाद में भी मेरा जूनियर था। फिर नेतरहाट, फिर दिल्ली। सब जगह साये की तरह साथ था। जीने की अद्भुत उसके अंदर लालसा थी। काल ने उस लालसा को भी खत्म कर दिया। अभी मध्य रात्रि के 11 बजकर 30 मिनट पर अंतिम साँस को प्रणाम कह दिया। पिछले हफ्ते जब मैं उसके लिए सब लोगों से उसके इलाज के लिए सहायता राशि के लिए आग्रह कर रहा था तब वह कहा था कि "उदय जी अब मैं ठीक हो जाऊंगा", मैं केवल इतना ही लिखा था कि "हाँ शारदा, गॉड बलेस यू"। 6 दिन पहले उसका आखिरी मैसेज आया था - उदय जी गुड मॉर्निंग । अलविदा शारदा - तुम हमेशा मेरे दिल में रहोगे। अब लिखा नहीं जा रहा है। उसने अपनी जिंदगी की सारी यात्रा हमलोगों के साथ ही बितायी थी। नश्वर शरीर ने आज शारदा के दिव्य आत्मा को मुक्त कर दिया। भगवान तुम्हें अपने श्री चरणों में स्थान दें। फिर मिलेंगे और जी भरकर साथ खेलेंगे - जर्नी ऑफ सोल है, मिलना तो जारी रहेगा, इस जीवन यात्रा में नहीं तो अगले पुनर्जन्म की यात्रा मे!! - Uday 86-90
Alok 2007280 Ashok Ashram is no more with us. Very sad..No age to go !
Batch- 2007-2011
Roll no- 280
Cause of death- cancer
It's really extremely sad news for Netarhat family, his friends, seniors and juniors.He died at 5:00 am today because of cancer. this is really sad and so unfortunate..this is not a age to go...May God bless his soul.
May his soul rest in peace ! May God grant his family enough strength to bear this unbearable loss !
Ravindra ji (1954 Batch) death is an irreparable loss to the entire NOBA family!!
Very sad news. I remember he had visited Netarhat School , with Bhabhiji , soon after his marriage. We were in School then. He was professor in Govt Polytechnic Gulzarbagh, Patna. We found him quite active in NOBA Patna, and Noba Housing, in formdative years. Plot registration of Nobanagar bears his signature as Secretary of the Society. Post retirement he was quite active in social work, particularly in teaching the children of weaker sections. This he continued life long on daily basis. May HE grant him moksha. May the family be blessed with the strength to bear this irreparable loss.
- Rameshwar 1967394
As a matter of fact , Ravindra ji's death is an irreparable loss to the entire NOBA family. He was one of the founding members of Noba. He served as Noba's backbone for many years and under his guidance we made Noba dynamic and alive. We cannot set aside or forget his dedication to Noba.
I pray God to grant him eternal peace and rest to his noble soul.
।। हरि ओम तत्सत ।।
- Anil 1974603
रविन्द्र जी का निधन सम्पूर्ण नोबा परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है।वे नोबा के संस्थापक सदस्यों में से थे। उन्होंने अनेक वर्षों तक नोबा के मेरूदंड के रूप में कार्य किया और उनके मार्गदर्शन में हमलोगों ने नोबा को गतिशील एवं जीवन्त बनाया।नोबा के प्रति उनके समर्पण को हम नहीं भूले सकते।
ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करें।🙏🕉️💐
- Kamlesh1965 Batch
बहुत ही दुखद समाचार. रविन्द्र जी प्रथम बैच के छात्र हमारे बीच नहीं रहे. उनसे मेरा वित्त 45 वर्षों से मेरे गृह क्षेत्र दरभंगा से ही पारिवारिक सा परिचय और आत्मीयता थी जब वे पौलिटेकनिक में प्रोफेसर थे. उनके प्रेरणा से नेतरहाट, सैनिक स्कूल तैयारी के लिए मैंने कोचिंग खोल रखा था और सफलता भी मिली थी जब मैं 1977 में नेतरहाट से वापस आया था. ऐतिहासिक मुजफ्फरपुर नोबा सम्मेलन एस बी आई रेड क्रॉस सम्मेलन में मेरे आग्रह पर पटना से आये थे और मंचासीन कराया था. दरभंगा नोबा के एक समय अभिभावक स्वरूप उनकी महती भूमिका रही.
रविन्द्र जी का निधन नोबा परिवार के लिए महान क्षति है. मृत्यु ही तो शाश्वत सत्य है.हम मुजफ्फरपुर नोबा परिवार उनके श्रीचरणों में भावभीनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. भाभी जी एवं समस्त परिवार को कष्ट सहने की शक्ति दे यह ईश्वर से प्रार्थना करते हैं.
- Ashok Kumar Jha
स्व. श्रीमान जी आचार्य सुरेश कुमार झा की स्मृति में नोबा जीएसआर टीम ने आज पटना में जरूरतमंद के बीच कम्बल , उलेन टोपी बाँटे !
नेतरहाट विद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष आचार्य सुरेश कुमार झा का रविवार को निधन हो गया. बिहार और झारखंड में संस्कृत के विद्वान के रुप में उनकी प्रतिष्ठा थी। वे अपने पीछे भरापूरा परिवार छोड़ कर गये हैं। उनके एक पुत्र और तीन पुत्री हैं।
आचार्य के भतीजा दूरदर्शन के चैनल आपरेशन स्पेशलिस्ट अमन कुमार ने बताया कि सुबह दस बजे हरमू मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
उनके निधन पर नेतरहाट विद्यालय के पूर्ववर्ती छात्रों समेत समाज के विभिन्न क्षेत्रों के विद्वानों ने श्रद्धांजलि दी है। पटना के पूर्ववर्ती छात्रों के संगठन द्वारा उनकी याद में अमेरिका के दिनेश कुमार जी के सहयोग से वैश्विक सामाजिक दायित्व के तहत पटना में अलग अलग सड़कों और गलियों में जरूरतमंद यथा रिक्शाचालक , ठेला चालक, फुटपाथ पे रहने वालों इत्यादि के बीच उलेन टोपी और कम्बल का वितरण किया गया। इस कार्य में सुमित, सुजित, सन्नी कुमार, ऋषभ, मुकेश , कृष्णकांत एवं मनीष कांत सम्मिलित रहे।
नेतरहाट विद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष आचार्य सुरेश कुमार झा जी का निधन
नेतरहाट विद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष आचार्य सुरेश कुमार झा का रविवार को निधन हो गया. बिहार और झारखंड में संस्कृत के विद्वान के रुप में उनकी प्रतिष्ठा थी। वे अपने पीछे भरापूरा परिवार छोड़ कर गये हैं। उनके एक पुत्र और तीन पुत्री हैं। सोमवार को सुबह दस बजे हरमू मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
उनके निधन पर नेतरहाट विद्यालय के पूर्ववर्ती छात्रों समेत समाज के विभिन्न क्षेत्रों के विद्वानों ने श्रद्धांजलि दी है।
**************************
सास्रं सश्रद्धं श्रद्धाञ्जलयः
ऊँ शान्तिः। वेदाहमेतं पुरुषं महान्तमादित्यवर्णं तमसः परस्तात्।
तमेव विदित्वाsतिमृत्युमेति नान्यः पन्था विद्यतेsयनाय।।
अद्य प्राप्तं वृत्तम्- आचार्यप्रवराः लोके सुरेशकुमार झा इत्याख्यया नैकविधं प्रचलिताः सातिशयं प्रेष्ठाः लब्धप्रतिष्ठाः विद्वांसः विविधरूपगुणान्विताः नेतरहाट विद्यालयस्य कृतकार्याः शिक्षकाः पाञ्चं शरीरं विहाय कीर्तिशेषत्वम् अभजन्।
लभेन्मुक्तिञ्च शाश्वतीम्
- सौजन्य से : श्रीमान विन्ध्याचल पाण्डेयः जी !!
*******************************
'बाबू जरा पान वाला डलिया ले लेना रूम में टेबल पर रखा है!'बस इतना बोलते थे श्रीमान जी,हम खुश हो जाते,बस इसी आदेश का इंतजार रहता था उनके बुलाने पर।उनके फ्रिज में रखा पंतुआ,शाही टोस्ट आदि एक - एक तो निगल ही जाते थे तुरंत.घर जाने से 1 दिन पहले बैठक लगती थी उनके कमरे में।कितना पैसा लोगे?पान घुलाते हुए, मुस्कुराते फिर हंस देते।एक बार हमने कहा 500 लेंगे श्रीमान जी।श्रीमान जी की आवाज उसी इको के साथ अब तक गूंज रही है "क्या करोगे इतना पईसा,अपने बउआ का झुनझुना लोगे?"मेरे साथ पूरा कमरा ठहाके लगा रहा था।नेतरहाट में पहले अभिभावक थे श्रीमान जी।माताजी भी उतना ही वात्सल्यपूर्ण बर्ताव करतीं।लेकिन श्रीमान जी का स्नेह ज्यादा बलवान था। हम हाउसमेट्स योजना ही बनाते रह गए कि श्रीमान जी से मिलने जरूर जाना है रांची।धिक्कार है खुद को।श्रीमान जी आप आशीर्वाद का बक्सा लिए चले गए।ऋतिक फोन पर खूब रो रहा था श्रीमान जी, किससे कहें कुछ।आप तक फेसबुक पोस्ट नहीं पहुंच सकता,लेकिन आपको महसूस कर रहे हैं सभी।किशोर आश्रम के आश्रमाध्यक्ष आवास के परिसर में आपके साथ बैठे हैं श्रीमान जी।शहतूत और लीची के पेड़ पर अब भी किशोर आश्रम का ही कब्जा है श्रीमान जी।आपके उस सीमेंट वाले रिसते पानी की टंकी को अभी - अभी मैंने सीमेंट चढ़ाकर ठीक किया है श्रीमान जी,अब ये पहले की तरह हो गया है।ज्ञान - संपदा से भरपूर थे श्रीमान जी,बाबूजी जैसे थे श्रीमान जी,हंसते,पान घुलाते,मुस्कुराते संबल थे श्रीमान जी। सौजन्य से : दीपक कुमार 2011-2015
***************************
आज अचानक फेसबुक के एक पोस्ट में श्रीमान जी की फोटो दिखी और देखते ही मन घबरा गया । पोस्ट पढ़ा तो दिल की धड़कनें और बढ़ती चली गईं । जिसका डर था वही हुआ, श्रीमन जी नहीं रहे ।
अचानक से मन में पुरानी बातें घूमने लग गईं। किशोर आश्रम के अंतिम दो साल में श्रीमान जी हमारे अश्रमाध्यक्ष थे ।
कहते थे -
" खूब खाओ और खूब पढ़ो । मुझे खूब खाने वाले छात्र बहुत पसंद हैं ।"
जब हम दसवीं कक्षा में पहुंचे तो श्रीमान जी की प्रेरणा से ही संस्कृत को अनिवार्य विषय में रख पाए । मैंने काफ़ी दिनों तक हिंदी को ही मुख्य विषय रखा था और इस दौरान कभी भी श्रीमान जी ने विषय बदलने के लिए नहीं कहा, शायद इसलिए कि वो किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाना चाहते थे । फिर थोड़ा आकलन करने के बाद जब मैं एक दो और सहपाठियों के साथ उनसे राय लेने गया तो उन्होंने संस्कृत में कम से कम 95% ले आने के गारंटी दी । इतनी सरलता और कॉन्फिडेंस में उनकी गारंटी सुनकर, फिर किसी भी प्रकार का संदेह नहीं रह गया । आम कक्षाओं के समय के बाद भी श्रीमान जी हमेशा पढ़ाने के लिए उपलब्ध रहते थे । हम दोपहर में एक बार हिचकिचाते हुए उनसे पढ़ने के लिए पहुंचे, लग रहा था कि शायद दोपहर के खाने के बाद आराम कर रहे होंगे । पहले माताजी बाहर आईं और हमें दो मिनट रुकने के लिए कहा, हमने माताजी से कहा कि अगर श्रीमान जी आराम कर रहे हैं तो हम बाद में आयेंगे । पर माताजी हमें इंतजार करने के लिए बोल कर अंदर चली गईं । बस दो मिनट में श्रीमान जी बाहर आए और हमारी अतिरिक्त कक्षा शुरू हो गई ।
पढ़ाई के बाद मैंने श्रीमान जी से पूछा कि हम आज शायद गलत समय पर आ गए, और आप अगर आप अपनी सुविधा से एक समय बता दें तो हम उसी समय पर आयेंगे और आपके विश्राम में खलल नहीं डालेंगे ।
श्रीमान जी बोले -
" सुनो बालक तुम बारह बजे रात में आएगा तब भी हम खुशी से पढ़ाएंगे । "
श्रीमान जी के दावे में वही कॉन्फिडेंस था ।
छात्रों के उपनाम भी श्रीमान जी महाभारत, रामायण आदि ग्रंथों से उठाकर रखते थे । उनके लिए कोई बाणासुर था तो कोई बकासुर , कोई मेघनाद तो कोई हिडिंब । ऐसे नाम जो सुनकर सब मुस्कुरा ही जाते थे ।
एक बार दो छात्र आपस में झगड़ते पकड़े गए । बात थोड़ी मारपीट और हाथापाई तक भी पहुंच चुकी थी । श्रीमान जी ने उस दिन अपने राजसी क्रोध का प्रदर्शन किया । इस गुस्से में भी वो अपने चेहरे से मंद मंद मुस्कान छुपा नहीं पाए , बस आवाज ऊंची हुई थी । उन्होंने दोनों छात्रों को पंजा लड़ाने की खुली चुनौती दी । आज के दिन ही बताया कि पहले वो अखाड़े में कुश्ती के भी चैंपियन रह चुके थे ।
ऐसे ही किसी दिन इलेक्शन ड्यूटी की बातचीत चल रही थी । इस समय श्रीमान जी की तबीयत उतनी अच्छी नहीं थी, हमने उनसे कहा कि अगर ऐसा है तो आप कुछ जुगाङ लगाकर कैंसल क्यूं नहीं करा देते । तब श्रीमान जी ने कहा था -
" नहीं बेटा, मैं कभी अपने कर्तव्य से नहीं भागता । "
ये बात काफ़ी प्रेरित करने वाली थी । और खाली समय में भी मस्तिष्क में गूंजा करती थी । विद्यालय के बाहर भी अगर किसी से श्रीमान जी का परिचय कराया तो ये बातें जरूर सामने आ गईं ।
सुना था तंत्र आदि के भी ज्ञाता थे पर फिर भी कभी अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं दिया । हमने एक दो बार आश्रम में रात में झूठ मूठ का भूत देखने की बातें कहीं तो श्रीमान जी बोले कि कोई पशु या पक्षी रहा होगा । हमारे नकली भूत की कहानी पे बस एक मिनट में पानी फेर दिया !
आखिरी बार रिजल्ट लेने गया तो उनसे मिला था ।
तब बोले थे-
"ये तुम्हारा घर है और जब तुम्हारी मर्जी हो तब आ सकते हो। "
इस बार उनकी आंखों में देखकर कॉन्फिडेंस को आंकने की जरूरत भी नहीं पड़ी । मुझ जैसे संस्कृत के अनपढ़ को भी संस्कृत में 96 आए थे ।
भगवान उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे । आपको हम अपनी स्मृतियों में हमेशा बनाए रखेंगे
सौजन्य से : रोहित कुमार सिंह
***********************************
श्रीमान जी को इस वीडियो में देखना और सुनना ..लगता है उनके क्लास में बैठे हुए हैं ..एक बार श्रीमान जी हमको बीच क्लास में उठा के बोले थे ..ए विकास, तुम तो एक दिन विदेश जाएगा..बहुत तरक्की करोगे..मेरा आशीर्वाद है। जापान आने के बाद उनको कॉल करके मैंने याद दिलाया था। काफी लंबी बातचीत हुई थी । उन्होंने पापा के बारे में भी पूछा था..श्रीमान जी मेरे आश्रमध्यक्ष नही थे लेकिन उनकी और पापा की बहुत बनती थी। पापा जब भी नेतरहाट आते थे, श्रीमान जी के घर पर ही उनका खाना होता था। उन्होंने कहा था कि विकास एकदिन आएंगे बेगूसराय तुम्हारे घर पर भी । सब कुछ ऐसे ही रह गया । श्रीमान जी, आपको पापा की कंपनी वहां मिल जाएगा..आप अकेले नही हैं ..माता जी से बात करने की हिम्मत नही हो रही 😭
***************************
श्रद्धांजलि......!!
**************
नेतरहाट विद्यालय के श्रीमान जी और संस्कृत के लब्ध प्रतिष्ठित आचार्य श्रीमान जी सुरेश कुमार झा जी नहीं रहे। आज संध्या 5 बजे राँची में उन्होंने अंतिम साँस लिया।
विद्यालय के दिनो में वो हमारे पूरे काल गौतम आश्रम के अध्यक्ष रहे। माताजी एवं श्रीमान जी का आश्रम संचालन ऐसा था कि उसकी तुलना दुनिया के किसी और तत्व से शायद ही की जा सकती है। माँ पिता की कमी किसी भी बच्चों को कभी नहीं होने देते । दूसरे आश्रम के बच्चों के बीच भी वो उनके उतने ही नज़दीक रहे। सबसे बड़ी बात दोनो में ये रही की बिना बताए वो हमारी समस्या को जान लेते थे। इतने संस्मरण है विद्यालय पहुँचने के पहले दिन से लेकर आजतक की बोलना मुश्किल है। जब उनके सेवनिवृत्ति के बाद राँची स्थित उनके आवास पे गया तो दोनो से वही प्यार मिला। पत्नी को माताजी ने बहू के समान परम्परा के साथ विदाई दी। एक बार और राँची जाना पड़ा तो श्रीमान जी ने घर आकार खाना खाकर ही लौटने को कहा। श्रीमान जी का दिया हर आशीर्वाद मेरे जीवन में फलीभूत हुआ। आज इस दुःख की घड़ी में श्रीमान जी के अंतिम दर्शन भी नसीब नहीं हो रहा, माताजी का चेहरा बार बार सामने आ रहा है। ईश्वर आपको हिम्मत दे। रौशन , स्वीटी, सोनम और मेघा को सम्बल मिले। श्रीमान जी को मोक्ष मिले।
विद्यालय के हीरक जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में श्रीमान जी द्वारा दिया गया धन्यवाद ज्ञापन का Vikash द्वारा यूटूब लिंक प्राप्त हुआ। उनके शब्द कानो में गूंज रहे है। किनको नमन करूँ………सौजन्य से : मनीष कांत जी 1996-2000 बैच !
Heart Breaking News : Kamal Kishore Mallik Jee (1954-60) passed away yesterday night at his New Jersey residence USA
Kamal Kishore Mallik Jee (1954-60) passed away yesterday night at his New Jersey residence USA. After completing his graduation in Production engineering he joined the then Hind Motors, Howrah. Developing great skills in designing motor parts gave him an opportunity to join Auto industry in USA almost half a century ago.
The first school hockey captain Kamal jee belonged to Supaul and last visited his village about 10 years ago.
May God grant eternal peace to the departed soul.
Om Shanti !!