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अरुण अर्थात लालिमा या उषाकाल के समय सूर्य की लालिमा ली हुई मनोरम छटा। नेतरहाट खासकर सूर्योदय की विहंगम एवं सूर्यास्त की नयनाभिराम छटा के लिए प्रसिद्ध है। नेतरहाट विद्यालय भी इसी अरुणाभा में जागृत होता है। यहां अरुण नाम से एक आश्रम का निर्माण हुआ जिससे ज्ञान का अरुणोदय चहुंदिश हो सके। प्रसिद्ध कवि गजानन माधव मुक्तिबोध ने अपनी प्रसिद्ध कविता 'अंधेरे में' में अरुण कमल की कामना करते हुए लिखा है:
पहुंचना होगा दुर्गम पहाड़ों के उस पार तब कहीं देखने मिलेंगी सांसें जिसमें कि प्रतिपल कांपता रहता 'अरुण कमल' एक। |
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