मित्र की मौत

ज़िंदगी में एक समय आता है जब दोस्तों के गुज़रने की ख़बर आती है । कुछ दिन पहले तक उनके बच्चों की पैदाइश की खबरें आती थीं ।दिन गुजरते देर नहीं लगती , दिन काटने में कभी भले देर लगे !

किसी के न रहने पर मुझको अब ज़्यादा परेशानी नहीं होती । क्योंकि बहुत कुछ कर पाना सम्भव नहीं होता और स्वीकारना पड़ता है ।

तो जैसे अंधकार में आप किसी से बातें करें । कोई दिख नहीं रहा इसका ये मतलब तो नहीं कि उससे आपका वार्तालाप न हो सके ।

शायद एक कला हो । लेकिन मालूम तो रहता है कि जवाब क्या होगा । सिर्फ़ अंधेरा होता है । आदमी दिखता नहीं । अगर ऐसा नहीं तो फिर तो दिवंगत अजनवी था , दोस्त नहीं !

मानव ने अंधेरे का ठीक से सदुपयोग करना नहीं सीखा ।रौशनी जला देता है । सारा मक़सद भंग !अगर किसी से बातें करनी हो तो रौशनी की ज़रूरत क्या ! आवाज़ सुनिए । क्या दिक्कत है । किसी को देखना क्या ज़रूरी है ।

यूरोप में मैं बहुत सारे संगीत सभा में जाता था । वहीं से सीखा । एक ख़ास टीम होती है जो सिर्फ़ लाइट से ही खिलवाड़ करती है पूरे संगीत के दौरान ।

आपने कभी महसूस किया या इसकी खोज की कि जब लाइट बिलकुल बुझा दी जाती है , घटाटोप अंधेरा , तब लोगों की चीखें बढ़ जाती हैं । उनका संगीत का आनंद आसमान छूने लगता है ! कभी गौर किया ? आवाज़ की बात है , बाजे के तार की तरंग : प्रकाश की क्या ज़रूरत । अंधेरा चाहिए ! सुनना है । देख कर क्या करेंगे ?

कभी आपने अंधेरे में अपने प्रेमी की आहट सुनी । लाइट या प्रकाश की कोई ज़रूरत नहीं । मधुर है इसलिए कि अंधकार है । प्रकाश तो अकसरहाँ गंदगी उजागर कर देता है । नहीं ?

अंधेरेपन की अपनी ख़ासियत है । इसका मोल समझना आसान नहीं । ये अगर crack कर लिया तो कल्याण सम्भव है ।

तो मेरे मित्रों के गुज़रने के बाद जल्दी से दुःख के हाथ साफ़ कर लेता हूँ , प्रकाश में ही सही । काँटे झड़ जाते हैं । लेकिन तब अंधेरे का गुण गाता हूँ । संगीत सुनाई देता है । सुर से सुर मिल जाते और आनंद की चीख सुनाई देती है ।

आदमी दिखता नहीं । बातें तो मगर होती है । कोई भारतीय वैज्ञानिक फूलों से बातें करता था । अरे भाई ये तो कल तक पिस रहा था ज़िंदगी में , आज फूल बन गया तो रोना कैसा । बातें होती रहेंगी । आख़िरकार एक दिन तो हम सब फूल होंगे उसी बाग के ! 

नमस्कार , RC 

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दर साहेब
The Uncharted Year
 

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Tuesday, 17 December 2024